GERD यानी गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज के कारण, लक्षण और असरदार इलाज जानें। सही आहार, जीवनशैली और दवाओं से सीने की जलन और खट्टी डकारें दूर करें!
GERD यानी गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज एक पाचन संबंधी समस्या है जिसमें पेट का एसिड बार-बार खाने की नली (इसोफेगस) में वापस चला जाता है। इससे सीने में जलन (हार्टबर्न), खट्टी डकारें और गले में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर इस स्थिति का सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर रूप ले सकती है और इसोफेगस में अल्सर या अन्य समस्याएं उत्पन्न कर सकती है।
GERD होने के कारण
GERD आमतौर पर तब होता है जब लोअर इसोफेजियल स्फिंक्टर (LES) नामक मांसपेशी कमजोर हो जाती है या सही से काम नहीं करती। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
असंतुलित आहार
- ज्यादा तैलीय, मसालेदार और जंक फूड का सेवन
- कैफीन और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स (कोल्ड ड्रिंक्स) का अधिक सेवन
- खट्टे फल और टमाटर आधारित खाद्य पदार्थ
गलत जीवनशैली
- खाने के तुरंत बाद लेटना
- देर रात तक जागना और सही समय पर न सोना
- ज्यादा धूम्रपान और शराब का सेवन
मोटापा और अधिक वजन
- अधिक वजन से पेट पर दबाव बढ़ता है, जिससे एसिड ऊपर की ओर आ सकता है।
गर्भावस्था
- गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन और बढ़ते हुए पेट का दबाव GERD का कारण बन सकता है।
कुछ दवाएं
- दर्द निवारक, ब्लड प्रेशर की दवाएं और कुछ एंटीबायोटिक्स भी GERD को बढ़ा सकती हैं।
GERD के लक्षण
- सीने में जलन (खासकर खाने के बाद या रात में)
- खट्टी या कड़वी डकारें
- गले में खराश या जलन
- गले में दर्द (खासकर एक तरफ)
- निगलने में कठिनाई
- सूखी खांसी या आवाज का भारीपन
- ज्यादा गैस और पेट फूलना
GERD का उपचार
1. जीवनशैली और आहार में बदलाव
सही खान-पान अपनाएं:
- कम मसालेदार और हल्का भोजन करें।
- कैफीन, सॉफ्ट ड्रिंक्स और तली-भुनी चीजों से बचें।
- अधिक फाइबर युक्त भोजन लें।
- चाय, कॉफी, टमाटर और अत्यधिक खट्टे पदार्थ एसिडिटी को बढ़ा सकते हैं, इसलिए इसके सेवन से बचें।
खाने के बाद तुरंत न लेटें:
- भोजन के कम से कम 2-3 घंटे बाद सोएं।
- सोते समय सिर ऊँचा रखें (सिरहाने के नीचे ऊँचा तकिया लगाएं)।
वजन नियंत्रित रखें:
- नियमित व्यायाम करें और हेल्दी डाइट अपनाएं। अधिक वजन से पेट पर दबाव बढ़ाता है, जिससे एसिड रिफ्लक्स की संभावना बढ़ती है।
धूम्रपान और शराब से बचें:
- ये चीजें LES को कमजोर कर सकती हैं और एसिड रिफ्लक्स को बढ़ा सकती हैं।
आयुर्वेदिक उपचार:
- अदरक: अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पाचन में मदद कर सकते हैं।
- एलोवेरा जूस: एलोवेरा का रस पेट की परत को शांत करने में मदद कर सकता है।
- सौंफ के बीज: भोजन के बाद सौंफ चबाने से पाचन में सुधार हो सकता है।
- धनिया और जीरा: धनिया, जीरा और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बनाकर खाने से भी एसिडिटी और GERD में राहत मिलती है।
- अविपत्तिकर चूर्ण: अविपत्तिकर चूर्ण आयुर्वेद में एसिडिटी की विशेष औषधि है, डॉक्टर के अनुसार इसका सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।
2. दवाएं
डॉक्टर GERD के इलाज के लिए निम्नलिखित दवाएं लिख सकते हैं:
- एंटासिड्स (Acid Neutralizers) – एसिड को तुरंत न्यूट्रल करने के लिए।
- एच2 ब्लॉकर्स (H2 Blockers) – एसिड उत्पादन को कम करने के लिए।
- प्रोटोन पंप इन्हिबिटर (PPI) – एसिड के उत्पादन को लंबे समय तक रोकने के लिए।
3. सर्जरी (गंभीर मामलों में)
अगर दवाओं से आराम नहीं मिलता और स्थिति गंभीर हो जाती है, तो डॉक्टर फंडोप्लिकेशन जैसी सर्जरी की सलाह दे सकते हैं, जिसमें पेट और इसोफेगस के जंक्शन को मजबूत किया जाता है।
निष्कर्ष
GERD एक सामान्य लेकिन ध्यान देने योग्य समस्या है। सही खान-पान, अच्छी जीवनशैली और दवाओं से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अगर लक्षण लगातार बने रहते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें, क्योंकि यह आगे चलकर इसोफेगस कैंसर जैसी गंभीर समस्या का कारण भी बन सकता है।
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